लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 15)
वायदे के मुताबिक उन्होंने मेरा नाम बीच में नहीं आने दिया और उसे उसके भाई के ही साथ एक दूसरे कमरे में जहां उसकी बुआ और मां दोनों ने साथ रहकर उन्हें पढ़ाया। हालांकि किसी ने मेरा नाम बीच में नहीं आने दिया था, परंतु फिर भी उसे और उसकी सहेली को मुझ पर शक था। दोनों मुझ से सीधे मुंह बात नहीं करती। परंतु, मैं उनकी हर बात का उत्तर मुस्कुरा कर देती। उन दोनों को ही अपनी छोटी बहन समझकर माफ कर देती। बाद में उसकी सहेली जिसने उसे गलत रास्ते पर जाने के लिए प्रेरित किया था; की माताजी कुछ दिन रहने आई। उसने हम सब से मिलवाया। जब मैं उनसे मिलने गई तो वे मुझसे बोली अच्छा तुम हो स्वाति काफी सुना है तुम्हारे बारे में मकान मालिक आंटी से।
मुझे समझ में आ चुका था कि इसकी माताजी को भी हमारी आंटी ने पिछली हुई सारी कथा सुना दी है एवम उसके विषय में भी सब कुछ बता दिया है। इसीलिए ये आंटी भी इसके साथ यहां रहने आ गईं हैं। उसकी माताजी के प्रस्थान के पश्चात् वह लड़की एक दिन मेरे कमरे में आई। उस समय उसने मुझे दीदी कहकर पुकारा तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज ये चांद कहां से निकला है। खैर मुझे अति प्रसन्नता भी हुई कि अंततः इसमें कुछ सुधार तो आया। कुछ समय पश्चात मेरी पिछली रूम मेट भी मुझे रास्ते में मिली तो मुझे पीछे से आवाज़ लगाते हुए दीदी बोली और हाई करके मेरा हाल चाल पूछकर चली गई। मुझे फिर से आश्चर्य के साथ खुशी हुई कि चलो इसमें भी कुछ सुधार तो हुआ।
बाद में एक दिन उसकी बुआ फिर से मुझे मिलने आईं और उसके सुधार के विषय में और उसके पढ़ाई में बहुत अच्छे नंबर आने के विषय में बताकर मुझे धन्यवाद देने लगीं। उनकी यह खुशी देखकर मुझे बहुत खुशी हुई और एक संतोष का अनुभव हुआ।
जब यह लड़की मेरे कमरे को छोड़कर चली गई। मुझे नई रूम मेट मिल गई थी। वह मेरे ही बराबर की थी। परंतु, सम्मान के साथ बात करती थी।
मेरी ही कोचिंग की एक लड़की थी सुषमा जो बाद में मेरी पक्की सहेली बन गई थी। उसको उसके मकान मालिक बहुत परेशान करते थे। तब मैंने उसको। हमारे यहां पर एक कमरा दिलवा दिया। उसकी रूम मेट पढ़ाई में।बहुत अच्छी थी। परंतु, बिल्कुल भी सफाई से नहीं रहती। मुझे यह बात पता नहीं थी। मुझे हमारी मकान मालिकिन ने कहा था कि मैं चाहूं तो उसके।साथ रह लूप, क्योंकि वह पढ़ने में अच्छी थी। परंतु, मैंने सोचा मेरी सहेली मुझ पर भरोसा करके आ रही है तो मैं उसे उसके साथ रखवा देती हूं। ताकि उसकी पढ़ाई अच्छे से हो जाए।
परंतु, उल्टा हो गया। वह मुझे भला-बुरा कहने लगी। तुमने मुझे ऐसी गन्दी रहने वाली लड़की के साथ रखवा दिया वगेरह वगेरह और वह लड़की चोरी भी करती थी। मेरी सहेली की अलमारी में से कुछ ना कुछ निकाल कर खा जाती। वह परेशान हो गई।
Arina saif
03-Dec-2022 06:21 PM
Nice
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Swati Sharma
03-Dec-2022 07:15 PM
Thanks
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Abhinav ji
03-Dec-2022 07:52 AM
Aise logo se to bhagwan bachaye
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Swati Sharma
03-Dec-2022 10:14 AM
जी सर उचित कहा आपने। 😀
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